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ચેન્નઇ પાણી બિલકુલ અલગ રીતે - કેવી રીતે બચાવી રહ્યું છે તે "ખરેખર જાણવા જેવું" છે...
चेन्नई ने "अपने दम पर" पानी बचाने का बीड़ा उठाया...
How much water is being saved in different ways...

13:22 13/07/2019
देश में जलसंकट के हालात के चलते तमिलनाडु का चेन्नई शहर उन स्थानों में शुमार है, जहां पानी की समस्या आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है. सरकार और प्रशासन जहां नीतियां और व्यवस्थाएं बनाने में अपने हिसाब से काम कर रहे हैं, वहीं चेन्नई के तमाम वर्गों के लोग पानी बचाने की अपनी तरह की अनूठी कोशिशें कर रहे हैं. चेन्नई ने अपने दम पर पानी बचाने का बीड़ा उठाकर पूरे देश को संदेश देने का ज़िम्मा उठाया है.

बाइक्स के लिए ड्राय वॉश : एक ऑटोमोबाइल कंपनी ने शहर में सभी 20 सेंटर हर महीने 18 लाख लीटर पानी की बचत करने के प्लान के साथ तैयार हैं. कंपनी ने बीते 26 जून को शहर के सभी सेंटरों में गाड़ी धोने के लिए पानी का इस्तेमाल बंद कर ड्राय वॉश करने को कहा. बताया जा रहा है कि अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियां भी इस विकल्प ​पर विचार कर रही हैं.

कई आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से घर से काम करने को कह दिया है. ओल्ड महाबलीपुरम रोड चेन्नई का वह इलाका है, जहां जलसंकट की मार सबसे ज़्यादा है. यहीं स्थित आईटी कॉरीडोर की जिन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का विकल्प नहीं दिया है, वहां दफ्तरों में एक फ्लोर पर एक टॉयलेट की व्यवस्था कर कर्मचारियों को निर्देश हैं कि कम से कम पानी खर्च करें. वहीं, महाबलीपुरम के कई रहवासी अपने घरों में वॉशिंग मशीन का पानी टॉयलेट फ्लश करने में इस्तेमाल कर रहे हैं.

जब तक जलसंकट है, तब तक तमिलनाडु की फिल्मों में आप बारिश या स्वीमिंग पूल में भीगकर गाने गाते स्टारों को नहीं देख पाएंगे. तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बनने वाली फिल्मों में बारिश या पानी की मदद से रचे जाने वाले सीन्स पर एक तरह से रोक लगाई गई है. ऐसी स्क्रिप्ट्स पर फिल्में नहीं बनाने का फैसला किया गया है, जिनमें पानी के सीक्वेंस हैं.

आरओ मशीन से जो पानी पीने योग्य न होने के बाद बचता है, उसे रिसाइकिल करने में कई नागरिक घरेलू स्तर पर पहल कर रहे हैं. इस पानी को बाल्टियों या ड्रमों में इकट्ठा कर लोग इससे बर्तन सफाई और बागबानी जैसे काम कर रहे हैं. एक मशीन से प्रतिदिन करीब 4 लीटर पानी वेस्ट जाता था, इसे बचाकर घर की सफाई जैसे काम किए जा रहे हैं.

एसी से निकलने वाला जो पानी बर्बाद होता था, उसे बाल्टियों में इकट्ठा किया और उसका इस्तेमाल गाड़ियां धोने और बागबानी सहित घर के दूसरे कामों में किया गया. इस एक मकान की पहल को देखकर आसपास के कई घरों ने इस तरकीब से पानी को रिसाइकिल करना शुरू कर दिया.

वेल्लूर में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर कंडासामी सुब्रमणि ने अपने घर में कार पार्किंग के नीचे एक हौदी बनवाई. यह हौदी हर साल करीब 60 हज़ार लीटर पानी मुहैया कराती है. इस हौदी के साथ छत का पानी स्टोरेज, गटर के लिए पानी की पाइपलाइन जुड़े हुए हैं और दो स्टेप वाला फिल्ट्रेशन तरीका भी शामिल है. बारिश का पानी इस हौदी में भरता है,​ जिसका साल भर इस्तेमाल किया जाता है.

चेन्नई के कुछ स्कूलों ने छात्रों को साफ कह दिया है कि वो लंच बॉक्स में इडली लेकर आएं और साथ में, फोर्क यानी कांटे वाला चम्मच. हाथ से खाना न खाएं ताकि हाथ धोने के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी की बचत की जा सके. इस तरह के निर्देशों की सूचना कुछ ​ट्वीट्स के ज़रिए भी सोशल मीडिया पर प्रसारित की गई. तो कुल मिलाकर, चेन्नई का हर तबका पानी बचाने की मुहिम में अपने अपने तरीकों से योगदान देने में जुटा हुआ है.

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